माँ कृपा ज्योतिष पूजन पाठ
ज्योतिषाचार्य पंडित परमेश्वर शास्त्री जी द्वारा मूर्ति प्रतिष्ठा, यज्ञ, कालसर्प दोष, मंगलभात पूजा वास्तु शान्ति, नक्षत्र शान्ति, महामृत्युंजय जप, रुद्र अभिषेक दुर्गापाठ एवं मंत्र,यंत्र, जन्म पत्रिका, विवाह संस्कार समस्त कार्य वैदिक पद्धिति से सम्पन्न कराये जाते है |
या देवी सर्वभूतेषु
या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
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Rituals for family happiness
ज्योतिष
आज के दौर में ज्योतिष विद्या के बारे में अनेकों भ्रान्तियाँ फैली हैं। कई तरह की कुरीतियों, रूढ़ियों व मूढ़ताओं की कालिख ने इस महान विद्या को आच्छादित कर रखा है। यदि लोक प्रचलन एवं लोक मान्यताओं को दरकिनार कर इसके वास्तविक रूप के बारे में सोचा जाय तो…
कालसर्प पूजा
कालसर्प दोष पूजा को कालसर्प योग भी कहा जाता है। कालसर्प पूजा तब होती है जब सभी ग्रह राहु और केतु के बीच आते हैं|कालसर्प हानि, दुविधा, बाधा को सूचित करता है| कालसर्प पूजा उज्जैन दोष निवारण के लिए की जाने वाली पूजा व्यक्ति की अनुपस्थिति में भी की जा सकती है…
मंगल भात पूजा
मंगल पूजा तब की जाती है जब व्यक्ति के जीवन में विवाह संबंधी समस्याएं होती हैं। मंगलनाथ मंदिर इस पूजा के लिए प्रसिद्ध है. यह मंगल ग्रह के साथ जुड़ा हुआ है। मंगल आत्म-सम्मान, स्वभाव, अहंकार और संघर्ष का प्रतिनिधित्व करता है। मंगल पूजा कर के यह दोष दूर किया जाता है…
नवग्रह शांति पूजा
जीवन में जब कष्टों के लगातार आना और पूरा जीवन संघर्षपूर्ण दिखाई देना, इस बात का सबूत देता है कि आपके ग्रह–नक्षत्र अशान्त है, आपके नौ ग्रहों की बेकार दशा से आपको जीवन में सही दिशा प्राप्त नही हो पा रही है, इसी वजह से ज्योतिषी द्वारा ग्रह-नक्षत्र का जन्मपत्री द्वारा हाल जानकर उनका उपाय किया…
वास्तु दोष पूजा
गृह प्रवेश के पूर्व वास्तु शांति कराना शुभ होता है जानिए क्या होती हैं गृहशांति पूजन न करवाने से हानियां— गृहवास्तु दोषों के कारण गह निर्माता को तरह-तरह की विपत्तियों का सामना करना पडता है। यदि गृहप्रवेश के पूर्व गृहशांति पूजन नहीं किया जाए तो दुस्वप्न आते हैं, अकालमृत्यु, अमंगल संकट आदि का भय हमेशा रहता है…
अर्क/कुंभ विवाह
यदि लड़के अथवा लड़की की कुंडली में सप्तम भाव अथवा बारहवां भाव क्रूर ग्रहों से पीडि़त हो अथवा शुक्र, सूर्य, सप्तमेष अथवा द्वादशेष, शनि से आक्रांत हों। अथवा मंगलदोष हो अर्थात वर-कन्या की कुंडली मेें १,२,४,७,८,१२ इन भावों में मंगल हो तो यह वैवाहिक विलंब, बाधा एवं वैवाहिक सुखों में कमी करने वाला योग होता है…
महामृत्युंजय जप
शिव को मृत्युंजय के रूप में समर्पित महान मंत्र ऋग्वेद में पाया जाता है, इसे मृत्यु पर विजय पाने वाला महा मृत्युंजय मंत्र कहा जाता है, इसे शिव के उग्र पहलू की ओर संकेत करते हुए रुद्र मंत्र कहा जाता है; शिव के तीन आँखों की ओर इशारा करते हुए त्रयंबकम मंत्र और इसे कभी मृत-संजीवनी मंत्र के रूप में जाना जाता है…
रुद्राभिषेक पूजा
रुद्र भगवान शिव का एक प्रसिद्ध नाम है। रुद्राभिषेक में शिवलिंग को पवित्र स्नान कराकर पूजा और अर्चना की जाती है। यह हिंदू धर्म में पूजा के सबसे शक्तिशाली रूपों में से एक है और माना जाता है कि इससे भक्तों को समृद्धि और शांति के साथ आशीर्वाद मिलता और कई जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं। शिव को अत्यंत उदार भगवान माना जाता है…
चंडाल दोष
गुरु राहु या गुरु केतु की युक्ति से गुरु चांडाल दोष बनता है इन्हीं में से एक है गुरु-चांडाल दोष। राहु और केतु दोनों छाया ग्रह हैं और अशुभ भी। यह दोनों ग्रह जिस भाव में या जिस ग्रह के साथ हों उस भाव सबंधी अनिष्ठ फल दर्शाते हैं। राहु और गुरु जब साथ होते हैं या फिर एक-दूसरे को किन्हीं भी भावों में बैठकर देखते हों…
पित्र दोष पूजा
पितृदोष पूजा करने से सभी दोषो का निवारण हो जाता है.अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद विधि से अंतिम संस्कार न किया जाए तो पितृदोष होता है, या फिर किसी की अकाल मृत्यु हो जाए तो व्यक्ति के परिवार को कई पीढ़ियों को तक पितृदोष के परिणाम झेलने पड़ते है| इससे मुक्ति के लिए पितृदोष पूजा की जाती है|
दुर्गा सप्तशती पाठ
जब जब इस धरती पर पाप असहनीय हो जाता है तब तब देवी देवता के अवतरण के रूप में कोई महा शक्ति इस धरती पर अवतार लेकर उस पाप का नाश करती है, महाशक्तिशाली और इच्चापुरक काव्य दुर्गा सप्तसती से जानते है की किस तरह माँ दुर्गा का जन्म हुआ और किस तरह उन्होंने बार बार पृथ्वी पर दैत्यों के पाप को ख़त्म किया…
विवाह संस्कार
विवाह दो आत्माओं का पवित्र बन्धन है। दो प्राणी अपने अलग- अलग अस्तित्वों को समाप्त कर एक सम्मिलित इकाई का निर्माण करते हैं। स्त्री और पुरुष दोनों में परमात्मा ने कुछ विशेषताएँ और कुछ अपूर्णताएँ दे रखी हैं। विवाह सम्मिलन से एक- दूसरे की अपूर्णताओं को अपनी विशेषताओं से पूर्ण करते हैं, इससे समग्र व्यक्तित्व का निर्माण होता है…
परिचय एवं फीडबैक
ज्योतिषाचार्य पंडित परमेश्वर शास्त्री जी को 14 वर्षो के साथ में महर्षि सान्दीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान से महर्षि पाणिनि वैदिक विश्वविद्यालय, महर्षि यौगिक वैदिक विश्वविद्यालय से ज्योतिष में स्नातक[B.A.] की शिक्षा प्राप्त की हैं | साथ ही उन्होंने कर्मकाण्ड पौरोहित्य में डिप्लोमा किया हुआ हैं और ज्योतिष शुक्ल यजुर्वेद आदि का अध्ययन किया हुआ हैं | वर्तमान में पंडित जी उज्जैन नगरी में अनुभवी और विद्वान् पंडितों की श्रेणी में आते हैं |
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