चंडाल दोष
गुरु चांडाल योग क्या है ओर इसके प्रभाव ?
गुरु राहु या गुरु केतु की युक्ति से गुरु चांडाल दोष बनता है जिनका मनुष्य पर बेहद नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इन्हीं में से एक है गुरु-चांडाल दोष। राहु और केतु दोनों छाया ग्रह हैं और अशुभ भी। यह दोनों ग्रह जिस भाव में या जिस ग्रह के साथ हों उस भाव सबंधी अनिष्ठ फल दर्शाते हैं। राहु और गुरु जब साथ होते हैं या फिर एक-दूसरे को किन्हीं भी भावों में बैठकर देखते हों, तो गुरु चाण्डाल दोष का निर्माण होता है। यह योग किसी भी इंसान के लिये अच्छा नहीं होता है। उस व्यक्ति को जीवनभर परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
जिस जातक के जन्मांग में यह योग होता है वह निराशावादी और आत्मघाती स्वभाव वाला होता है। जिस जातक की कुंडली में गुरु चांडाल दोष यानि कि गुरु-राहु की युति हो तो वह व्यक्ति क्रूर, धूर्त, मक्कार, दरिद्र और कुचेष्टाओं वाला होता है। ऐसा व्यक्ति गुरुजनों का भी अपमान करता है व पिता पुत्र के बीच मतभेद उत्पन्न करता है खुद को श्रेष्ठ साबित करने के लिए गुरु व पिता का अपमान भी करने से पीछे नहीं हटता। ऐसा जातक धर्म और शास्त्रों का इस्तेमाल सिर्फ अपनी श्रेष्ठता सिद्ध करने के लिए करता है।